हर्षिल वैली: घाटी में बढ़ रही सेब कारोबारियों की तादाद, काश्तकारों के खिले चेहरे

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उत्तरकाशी: सूबे की एप्पल वैली हर्षिल में इन दिनों चहल-पहल तेज हो रखी है। वहज है देशभर से सेब कारोबारियों का हर्षिल पहुंचना। इन के अलावा पर्यटकों की भारी आमाद भी हर्षिल का दीदार करने पहुंची है, जो रसीले और खुशबूदार सेबों का स्वाद चख रहे ळैं। बड़ी संख्या में व्यापारियों और पर्यटकों के वैली में उमड़ने से हर्षिल के सेब काश्तकारों के चेहरे खिल उठे हैं।

सेब का रिकाॅर्ड उत्पादन
सेब काश्तकारों का कहना है कि बड़ी संख्या में सेब कारोबारी यहां पहुंचकर खरीद कर रहे हैं। पर्यटक भी उनसे सेब खरीद रहे हैं। बीते साल के मुकाबले इस बार क्षेत्र में सेब का ज्यादा उत्पादन हुआ है। बड़ी बात यह है कि सेब खरीदार इस बार सीधे बागीचे पहुंच रहे है और किसानों के सेब अच्छे दाम पर बिक रहे हैं। जबकि इससे पहले काश्तकार को स्वयं या फिर बिचैलिये के माध्यम से मंडी में सेब पहुंचाना पड़ता था।

बर्फबारी बनी मददगार
हर्षिल वैली में सर्दियों के दौरान अच्छी बर्फबारी सेब के लिए फायदेमंद रही है। यही वजह है कि इस बार वैली में सेब का रिकाॅर्ड उत्पादन हुआ। हालांकि फ्रूटिंग के दौरान अपेक्षित बारिश नहीं होने से सेब का आकार बड़ा नहीं हो पाया और रंग भी नहीं आया। लेकिन इसके बावजूद भी सेब की अच्छी पैदावार हुई है। जिसे देखते हुए क्षेत्र में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के साथ-साथ मैदानी मंडियों से सेब कारोबारी वैली में पहुंच रहे हैं। इसके अलावा जिले में जटा, नौगांव तथा झाला में कोल्ड स्टोर का संचालक भी जमकर सेब की खरीद कर रही है।

बीते साल हर्षिल वैली में करीब 1800 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ जबकि इस बार ढाई हजार मीट्रिक टन से अधिक सेब की पैदावार हुई। वहीं अधिक उत्पादन के चलते इस बार सेब को आकार नहीं मिल पाया। कोविड-19 के चलते देश की मंडियों में विदेशी सेबों की आवक नहीं होने से यहां के सेब को अच्छे दाम मिले हैं। -एनके सिंह, सहायक उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी

धराली के काश्तकारों का कहना है कि कोरोना और लाॅकडाउन की वजह से शुरूआती दौर में खरीदार नहीं पहुंचने से किसानों को कम दाम पर सेब बेचने पड़े, जिससे कुछ किसानों को नुकसान हुआ। लेकिन अब बड़ी संख्या में सेब कारोबारियों के पहुंचने से सेब के अच्छे दाम मिल रहे हैं। साथ ही खुले बाजार में भी पर्यटक एवं तीर्थयात्री सेब की जमकर खरीद कर रहे हैं।

काश्तकारों का कहना है कि कारोबारियों के बीच प्रतियोगी महौल होने से किसानों को अब सेब के अच्छे दाम मिल रहे हैं। ‘ए’ ग्रेड का सेब 70 से 80 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। झाला में पीपीपी मोड में चल रहे सरकारी कोल्ड स्टोर के संचालक का कहना है कि इस बार क्षेत्र में सेब को अपेक्षित आकार एवं रंग नहीं मिला है, लेकिन उत्पादन काफी अच्छा हुआ है। कंपनी किसानों से औसत 32 से 47 रुपये प्रतिकिलो की दर से सेब खरीद कर कोल्ड स्टोर में जमा कर रही है।

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