रोजी रोटी की तलाश में खाली होते पहाड़ और बेसहारा होते बुर्जुग, बढ़ रहा अपराध, पुलिस ने बढ़ाए मदद को हाथ

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हल्द्वानी। पलायन का दर्द झेल रहे उत्तराखंड में शहरों से ज्यादा एकाकीपन गांवों में है। नौकरी की तलाश में घर-गांव छोड़ रहे युवाओं के बगैर जीवन बिताना हमारे बुजुर्गों की मजबूरी बन गई है। ऐसे लोगों की मदद के लिए पुलिस ने जब पंजीकरण शुरू किया तो पलायन से खाली हो रहे गांव का नया दर्द सामने आया। विभिन्न गांवों से आठ हजार से अधिक बुजुर्गों ने पुलिस से जीवन व्यतीत करने में मदद मांगी है। शहरों में यह आंकड़ा पांच हजार के पास है।

 

बर्जुर्गों के साथ बढ़ी आपराधिक घटनाएं 

प्रदेश में बीते कुछ समय में बेसहारा सीनियर सिटीजन पर हमले और हत्या की वारदातों में बढ़ोतरी हुई है। इससे सबक लेते हुए डीजीपी अशोक कुमार ने बुजुर्गों का सहारा बनने की पहल शुरू की थी। इसके लिए जिला पुलिस को क्षेत्र के बुजुर्गों को चिह्नित कर उत्तराखंड पुलिस के सीनियर सिटीजन ऐप में रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश दिए थे।

कुमाऊं में चौंकाने वाले आंकड़े

कुमाऊं पुलिस ने पहले ही चरण में ऐसे कुल 13,817 बुजुर्ग चिह्नित किए हैं। इनमें से पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बुजुर्गों की संख्या सबसे ज्यादा है। पहाड़ के गांवों से 8,460 बुजुर्गों ने मदद मांगी। जबकि शहरी क्षेत्र में ये आंकड़ा 5,357 हैं। कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्र में पिथौरागढ़ में सबसे अधिक 2,776 बेसहारा बुजुर्ग हैं। इसके बाद 2,147 ऐसे बुजुर्ग बागेश्वर जिले में हैं।

कुमाऊं के जिलों का हाल

जिला                                बुजुर्ग

पिथौरागढ़                           2776

बागेश्वर                               2147

अल्मोड़ा                             1624

चम्पावत पर्वतीय                  1456

नैनीताल पर्वतीय                   457

कुल                                    8460

 

शहर क्षेत्र

नैनीताल तराई                       2151

ऊधमसिंहनगर                      2981

चम्पावत तराई                     225

कुल                                   5357

 

इस तरह होगा रजिस्ट्रेशन

नैनीताल जिले की महिला डेस्क प्रभारी एवं सीओ विभा दीक्षित ने बताया कि बुजुर्गों का चिह्नीकरण थाना चौकी स्तर पर होगा, जिसके बाद बेसहारा बुजुर्गों का सीनियर सिटीजन ऐप में रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। संबंधित थाने की हेल्प डेस्क ऐप में पंजीकृत बुजुर्गों की लगातार देखरेख करेगी।

 

 

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